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शब्द का अर्थ

सफ  : स्त्री [अं० साफ] १. पंक्ति। कतार। २. बिछाने की चटाई। ३. बिछौना। बिस्तर। पुं० शफ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
सफगोल  : पुं०=इसबगोल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सफदर  : वि० [अ०] सफों अर्थात सैनिक पंक्तियाँ तोड़ने या भेदने वाला। पुं० १. बहुत बड़ा वीर। २. एक प्रकार का बढ़िया आम।
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सफर  : पुं० [अ० सफर] १. हिजरी सन का दूसरा महीना। २. रास्ते में चलना। ३. रवाना होना। ४. वह अवसर जब कोई एक स्थान से दूसरे नजदीक या दूर के स्थान को जा रहा हो। ३. यात्रा काल में तय की जाने वाली दूरी। जैसे—५॰ मील लंबा सफर उन्हे करना पड़ा। पुं०=सफरी (मछली)।
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सफरदाई  : पुं०=सपरदाई।
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सफरभत्ता  : पुं० दे० ‘यात्रा भत्ता’।
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सफरमैना  : स्त्री० [अं० सैपर्स ऐंड माइनर्स] सेना के वे सिपाही जो सुरंग लगाने तथा खाइयाँ आदि खोदने को आगे चलते हैं।
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सफरा  : पुं० [अ० शपरः] [वि० सफरावी] पित्त।
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सफरी  : वि० [अ० सफर] १. सफर संबंधी। २. सफर के साथ में ले ताया जाने वाला। जैसे—सफरी बिस्तर। स्त्री० रास्ते का व्यय और सामग्री। पुं० [?] अमरूद नामक फल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=शफरी (मछली)। स्त्री० [?] टिकली जो हिंदू स्त्रियाँ माथे पर लगाती हैं।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सफल  : वि० [अव्य० स०] १. वृक्ष जिसमें फललगा हो। फलयुक्त। २. (कार्य) जिसका उद्दिष्ट फल या परिणाम हुआ हो। जैसे—परिश्रम सफल होना। ३. (व्यक्ति) जिसका उद्देश्य या परिश्रम अपना परिणाम या फल दिखा चुका हो। जैसे—विद्यार्थी का परीक्षा में सफल होना। ४. पशु जिसका अंडकोष कटा न हो या जो बधिया न किया गया हो।
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सफलता  : स्त्री० [सं० सफल+तल्-टाप] पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी।
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सफलित  : वि० [सं० सफल+इतच]=सफलीभूत।
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सफलीकरण  : पुं० [सं० सफल+च्छि√कृ (करना)+ल्युट्-अन, दीर्घ] [भू० कृ० सफलीकृत] सफल करने की क्रिया या भाव।
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सफलीभूत  : भू० कृ० [सं० सफल+चि√भू (होना)+क्त दीर्घ] १. (व्यक्ति) जिसे मिली सफलता हो। जो सफल हो चुका हो। २. (कार्य) जो पूरा या सिद्ध हो चुका हो।
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सफहा  : पुं० [अ० सफ़हः] १. तल। पार्श्व। २. पुस्तक का पृष्ठ। पन्ना। वरक।
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सफा  : वि० [अ० सफा०] १. साफ। स्वच्छ। जैसे—सफा कमरा। २. निर्मल। पवित्र। ३. साफ करने वाला। जैसे—बालसफा पाउडर। ४. खाली। रहित। जैसे—रात भर में उसका जेब साफ हो गया।
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सफाई  : स्त्री० [अ० सफा+हिं० ई (प्रत्य)] १. साफ होने की अवस्था या भाव। स्वच्छता। निर्मलता। २. कूड़े-करकट, मैल आदि से रहित करने या होने की अवस्था या भाव। जैसे—रपड़े, बरतन या मकान की सफाई। ३. त्रुटि, दोष आदि से पहित होने की अवस्था या भाव। जैसे—बोलने या लिखने में दिखाई देने वाली सफाई। ४. छल-कपट आदि से पहित होने की अवस्था या भाव। जैसे—व्यवहार या हृदय की सफाई। ५. ऋम आदि का परिशोध। लेन-देन या हिसाब चुकता होना। ६. लगाए हुए इल्जाम या आरोपित दोष से पहित होने की अवस्था या भाव। जैसा—मामले मुकदमें में दी जाने वाली सफाई। क्रि० प्र०—देना। ७. वाद-विवाद आदि का निपटारा या निर्णय।
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सफा-चट  : वि० [अ०+हि०] १. (तल) जो ऊपर से पूरी तरह से साफ कर दिया गया हो। जिसके ऊपर कुछ भी जमा या लगा न रहने दिया गया हो। जैसे—सफाचट खोपड़ी, सपाचट दाढ़ी। २. तस जिस पर कुछ भी जमा या लगा न रह गया हो। जो बिलकुल चिकना हो। जैसे—सफाचट मैदान। ३. बिलकुल साफ और स्वच्छ। जैसे—सफाचट दीवार। ४. जिसका कुछ भी अंश या चिन्ह बाकी न रहने दिया गया हो। जैसे—जो कुछ उसने पाया वह सब सफाचट कर गया।
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सफाया  : पुं० [अ० सफा०] १. जीवों के संबंध में उनका होने या किया जाने वाला पूरा संहार। जैसे—(क) वस्तुओं के संबंध में उनका किया जाने वाल ऐसा उपयोग या भोग कि वे नष्ट या समप्त हो जायँ। जैसै०—दो ही वर्षों में उसने बाप-दादा की कमाई का सफाया कर दिया।
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सफीना  : पुं० [अ० सफ़ीनः] १. वही। किताब। नोटबुक। २. अदालत का लिखा हुआ परवाना। हुकुमनामा।
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सफीर  : पुं० [अ० सफीर] एलची। राजदूत। स्त्री० १. चिड़ियों के बोलने की आवाज। २. साटी विशेषतः वह सीटी जो पक्षियों, साथियो आदि को अपने पास बुलाने के लिए बजाई जाती है।
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सफील  : स्त्री० [अ० फसील] १. पक्की चाहरदीवारी। २. शहरपनाह। परकोटा।
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सफेद  : ऋवि० [सं० श्वेत से फा० सुफ़ेद] १. जो रंगीन न हो। जैसे—सफेद बाल। पद—सफेद खून=पुरुष का वीर्य। २. स्वच्छ तथा उज्जवल। जैसे—सफेद पोशाक। ३. ( कागज आदि) (क) जिसपर कुछ लिखा न हो। कोरा। (ख) जिस पर लकीरें आदि न खिचीं हों। पद—स्याह सफेद= (क) भला-बुरा। (ख) हानि-लाभ। मुहा०—खून सफेद होना=मोह, ममता, सहानभूति आदि का भाव मन में रह जाना। ४. साफ। स्पष्ट। पद—सफेद-झूठ। (देखें)
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सफेद-झूठ  : पुं० [हिं०] ऐसा झूठ जो ऊपर से देखने पर ही साफ झूठ जान पड़ता हो, और वस्तुस्थिति के स्पष्ट विपरीत हो। विशेष—हिंदी में वह पद अँगरेजी के व्हाइट लाई के अनुकरण पर बना है, इसका आशय बिलकुल उलटा किया जाने लगा है। वस्तुतः अँगरेजी में व्हाइट लाई ऐसे झूठ को कहते हैं, जो केवल औपचारिक रूप में प्रायः बोला जाता है जिसमें किसी के अनिष्ट या छल-कपट का कुछ भी उद्देश्य नहीं होता।
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सफेद-पलका  : पुं० [फा० सुफ़ैद+हिं० फलक] ऐसा कबूतर जिसके पर कुछ सफेद और काले होते हों।
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सफेद-पोश  : वि० [फा०] [भाव० सफेदपोशी] १. साफ कपड़े पहनने वाला। पुं० कुलीन और शिक्षित और सभ्य व्यक्ति।
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सफेद-सुरमा  : पुं० [हिं०] चिरोड़ी नामक खनिज पदार्थ जो सफेद रंग का होता है। (जिप्सम)
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सफेद हाथी  : पुं० [हिं०] १. बरमा में पाया जाने वाला सफेद रंग का हाथी जो वहाँ बहुत पवित्र माना जाता है और जिससे कोआ काम नहीं लिया जाता। २. ऐसा व्यक्ति विशेषतः वेतन भोगी कर्मचारी, जिस पर व्यय जो बहुत अधिक पड़ता हो, पर उसका उपयोग प्रायः बहुत कम या नहीं के समान होता है। (व्हाइट एलीफ़ेन्ट)
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सफेदा  : पुं० [फा० सुफेदा] १. जस्ते का चूर्ण या भस्म जो दवा तथा लोहे का लकड़ी आदि की रँगाई में रंग में मिलाने का काम आती है। २. एक प्रकार का बढिया आम। ३. एक प्रकार का बड़ा और बढिया खरबूजा। ४. एक प्रकार का पकवान जिसका प्रचलन मुसलमानों में है। ५. पंजाब और कश्मीर में होने वाला एक बहुत ऊँचा और खंभे की तरह सीधा जाने वाला पेड़ जिसकी छाल का रंग सफेद होता है। इसकी लकड़ी सजावट के सामान बनाने के काम में आती है।
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सफेदी  : स्त्री० [फा० सुफ़ैदी] १. सफेद होने की अवस्था या भाव। स्वेतता। धवलता। २. बालों के सफेद होने की अवस्था जो वृद्धावस्था की सूचक होती है। मुहा०—सफेदी आना=दाढ़ी, मूँछें और सिर के बाल सफेद होना। बुढ़ापा आना। ३. दीवारों आदि पर होने वाली चूने के घोल की पोताई जिससे वे बिलकुल सफेद हो जाती हैं। ४. सूर्य के निकलने के पहले का उज्जवल प्रकाश जो पूर्व दिशा में दिखाई पड़ता है।
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सफ्तालू  : पुं०=शफ्तालू।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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