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सहस्रार  : पुं० [सं० ब० स०] १. हजार दलों नावा एक प्रकार का कल्पित कमल। २. जैन पुराणों के अनुसार बारहवें स्वर्ग का नाम। ३. ङठयोग के अनुसार शरीर के अंदर के आठ कमलों या चक्रों में से एक जो हजार दलों का माना गया है। इसका स्थान मस्तक का भपरी भाग माना जाता है। इसे शून्य चक्र भी कहते है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार यह विचार शक्ति और शरीर का विकास करने वाली ग्रंथियों का केंद्र है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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