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सांचा  : पुं० [सं० संचक] १. वह उपकरण जिसमें कोई तरल या गाढ़ा पदार्थ ढालकर किसी विशिष्ट आकार-प्रकार की कोई चीज बनाई जाती है। (मोल्ड) जैसे—ईंट या मूर्तियाँ बनाने का साँचा। मुहा०—(किसी चीज का) साँचे में ढला होना=अंग-प्रत्यंग से बहुत सुन्दर होना। रूप, आकार, आदि में बहुत सुन्दर होना। साँचे में ढालना=आकर्षक, प्रशंसनीय या सुन्दर रूप देना। उदा०—हमारे इश्क ने साँचे में तुमको ढाला है।—दाग। २. वह उपकरण जिसके ऊपर कोई चीज रख या लगाकर उसे कोई नया आकार या रूप दिया जाता है। कलबूत। फरमा। जैसे—जूता या पगड़ी बनाने का साँचा। विशेष—वस्तुतः साँचा वही होती है जिसका विवेचन ऊपर पहले अर्थ में किया गया है। दूसरे अर्थ में प्रयाः लोग भूल से उसका उपयोग करते हैं। दूसरा रूप वस्तुतः ‘कलबूत’ कहलाता है। ३. वह छोटी आकृति जो कोई बड़ी आकृति बनाने से पहले नमूने के तौर पर तैयार की जाती है और जिसके अनुकरण पर दूसरी बड़ी आकृति बनाई जाती है। प्रतिमान। (मॉडल) ४. कपड़े पर आकृति बनाने का रंगरेजों का ठप्पा।
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सांचारिक  : वि० [सं० संचर+ठक्—इक] १. संचार-संबंधी। २. जो संचार करता हो। ३. चलता हुआ। जंगम।
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