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सामन  : पुं०=सावन (महीना)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [अं० सैल्मन] एक विशेष प्रकार का ऐसी मछलियों का वर्ग जिनका माँस पाश्चात्य देशों में बहुत चाव से खाया जाता है। (सैल्मन)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
सामना  : पुं० [हिं० सामने, पुं० हिं० सामुहें] १. किसी के समझ होने की अवस्था, क्रिया या भाव। पद-सामने का= (क) जो किसी के देखते हुआ हो। जो किसी की उपस्थिति में हुआ हो। जैसे—यह तो तुम्हारे सामने का लड़का है। (ख) किसी की वर्तमानता मे। जैसे—यह तो हमारे सामने की घटना है। २. भेट। मुलाकात। जैसे—जब उनसे सामना हो तब पूछना। ३. किसी पदार्थ का अगला भाग। आगे की ओर का हिस्सा। आगा। जैसे—उस मकान का सामना तालाब की ओर पड़ता है। ४. किसी के विरुद्ध या विपक्ष में खड़े होने की अवस्था, क्रिया या भाव। मुकाबला। जैसे—(क) वह किसी बात में आपका सामना नही कर सकता। (ख) युद्ध क्षेत्र में दोनों दलो का सामना हुआ। मुहा—(किसी का) सामना करना=सामने होकर जवाब देना। घृष्टता या गुस्ताखी करना। जैसे—जरा सा लड़का अभी से सबका सामना करता है। ५. प्रतियोगिता। लाग-डाँट। होड़। जैसे—आज अखाड़े में दोने पहलवानों का सामना होगा।
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सामनी  : स्त्री० [सं०] पशुओं को बाँधने की रस्सी। वि०, स्त्री० सावनी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सामने  : अव्य-[हिं० सामना] १. उपस्थिति में। आगे। समक्ष। जैसे—बड़ो के सामने ऐसी बात नही कहनी चाहिए। मुहा—(किसी के) सामने करना, रखना या लाना=किसी के समक्ष उपस्थित करना। आगे करना, रखना या लाना। (स्त्रियों का किसी के) सामने होना=परदा न करके समझ आना। जैसे—उनके घर की स्त्रियाँ किसी के सामने नहीं होती। २. किसी के वर्तमान रहते हुए। जैसे—इस किताब के समने उसे कौन पूछेगा ? ३. जिस ओर मुँह हो सीधे उसी ओर। जैसे—सामने चले जाओ, थोड़ी दूर पर उनका मकान है। ४. मुकाबले में। विरुद्ध। जैसे वह तुम्हारे सामने नहीं ठहर सकता। मुहा—(किसी को किसी के) सामने करना या लाना=प्रतियोगी विपक्षी आदि के रूप में खड़ा करना। मुकाबले के लिए खड़ा करना। जैसे—वे तो आड़ में बैठे रहे, और मुकदमा लड़ने के लिए लड़के को सामने कर दिया।
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