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सितम  : पुं० [फा०] १. ऐसा क्रूर कार्य जो दूसरों पर विशेषतः निरीहों पर बलात किया जाय। २. शासक या अधिकारी द्वारा अपनी प्रजा पर किया जाने वाला अत्याचार। ३. अनर्थ। गजब। मुहा—सितम टूटना=बहुत बड़ा अनर्थ होना। भारी विपत्ति या संकट आना। सितम ढाना=बहुत बड़ा अनर्थ या अत्याचार करना।
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सितमगर  : वि० [फा०] [भाव० सितमगरी] दूसरों पर विशेषतः निरीहों पर अत्याचार करने वाला। दुःखियों तथा बेगुनाहों को सतानेवाला।
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सितमणि  : स्त्री० [सं० ब० स० मध्य० स०] बिल्लौर। स्फटिक।
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