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सीप  : पुं० [सं० शुक्ति, प्रा० सुक्ति] [स्त्री० अल्पा० सीपी] १. घोंघे, शंख आदि के वर्ग का और कठार आवरण के भीतर रहने वाला एक जल-जन्तु जो छोटे तालाबों और झीलों से लेकर बड़े-बड़े समुद्रों तक में पाया जाता है। शुक्ति। मुक्ता माता। २. उक्त जल-जन्तु का सफेद कड़ा और चमकीला आवरण या संपुट जो बटन चाकू आदि के दस्ते आदि बनाने के काम में आता है, और जिससे छोटे बच्चों को दूध पिलाया जाता है। ३. एक प्रकार का लंबोतर पात्र जिसमें देव-पूजा, तर्पण आदि के लिए जल रखा जाता है।
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सीपति  : पुं०=श्रीपति (विष्णु)।
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सीपर  : पुं०=सिपर (ढाल)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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सीप-सुत  : पुं० [हिं० सीप+सं० सुत] मोती।
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सीपिज  : वि० सीप या सीपी से उत्पन्न पुं० [हिं० सीपी+सं० ज] सीपी से उत्पन्न अर्थात मोती।
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सीपी  : स्त्री० हिं०‘सीप’ का स्त्री० अल्पा०।
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