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सुकृत्  : वि० [सं० सु+√कृ (करना)+क्विप्-तुक] १. उत्तम और शुभ कार्य करने वाला। २. धर्म के और पुण्य काम करने वाला। ३. भाग्यवान। ४. धार्मिक, पवित्र तथा शुभ। पुं० निपुण कारीगर। दक्ष शिल्पी।
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सुकृत  : भू० कृ० [सं०] १. (काम) जो अच्छे ढंग से किया गया हो। जैसे—सुकृत कर्म अर्थात पुण्य का और शुभ काम। २. (कृति) जो बहुत बढिया बनाई गई हो। पुं० १. कोई भलाई का कार्य। सत्कार्य। पुण्य कार्य। २. धर्म शील और पुण्यात्मा व्यक्ति। ३. भाग्यवान व्यक्ति। मुहा०—सुकृत मनाना=अपने सुकृतों का स्मरण करते हुए यह मानना कि उनके फल स्वरूप हमारा संकट दूर हो। उदा०—लगी मनावन सुकृत, हाथ कानन पर दीन्हे।—रत्ना०।
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सुकृत-कर्मा  : पुं० [सं० सुकृतकर्मा कर्म० स०] धर्मात्मा या पुण्यात्मा व्यक्ति।
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सुकृत-व्रत  : पुं० [सं० मध्य० स०] एक प्रकार का व्रत जो प्रायः द्वादशी के दिन किया जाता है।
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सुकृतात्मा  : वि० [सं० सुकृतात्मन०, ब० स०] पुण्य कर्म करने की जिसकी वृत्ति हो।
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सुकृति  : स्त्री० [सं० सु√कृ (करना)+क्तिन] १. धर्म और पुण्य का काम। २. तपश्चर्या। ३. कोई अच्छी या सुन्दर कृति। सत्कर्म।
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सुकृतित्व  : पुं० [सं० सुकृति+त्व] सुकृति का भाव या धर्म।
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सुकृती (तिन)  : वि० [सं० सुकृत+इनि] १. सत्कर्म करने वाला। २. धार्मिक और पुण्यशील। ३. भाग्यवान। ४. बुद्धिमान।
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सुकृत्य  : पुं० [सं० सु√कृ (करना)+क्यप्-तुक] उत्तम कार्य। सत्कर्म।
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