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शब्द का अर्थ

सुधार  : पुं० [हि० सुधारना] १. वह तत्त्व जो किसी के सुधरने या सुधरे हुए होने पर लक्षित होता है। २. वह प्रक्रिया जो किसी के दोष विकार आदि दूर करने के लिए की जाती है। ३. वह काट-छाँट या संशोधन-परिवर्तन जो रचना को अच्छा रूप देने के लिए किया जाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
सुधारक  : वि० [हि० सुधार+क (प्रत्य)०] (कार्य) जो सुधार के उद्देश्य या विचार से हो। (रिफ़ार्मेटरी)। पुं० १. दोषों या त्रुटियों का सुधार करनेवाला। संशोधक। २. धार्मिक या सामाजिक सुधार के लिए प्रयत्न करनेवाला। (रिफ़ार्मर)
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सुधारना  : स० [सं० शोधन] १. बिगड़ी हुई वस्तु को इस प्रकार ठीक करना कि वह फिर से काम करने या काम में आने के योग्य हो जाय। २. दोषों विकारों आदि का उन्मूलन कर अथवा उनमें परिवर्तन लाकर किसी स्थिति में सुधार करना। ३. लेख आदि की गलतियाँ दूर करना।
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सुधारा  : वि०=सूधा (सीधा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सुधारालय  : पुं० [हि० सुधार+सं० आलय] वह स्थान जहाँ पर अपराधियों के जीवन सुधार की व्यवस्था की जाती है। (रिफ़ार्मेटरी)।
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सुधारू  : वि० [हि० सुधारना+ऊ (प्रत्यय)] सुधारनेवाला। सुधारक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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