शब्द का अर्थ
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सूद :
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पुं० [सं० √षूद् (नष्ट करना)+अच्] १. रसोइया। सूपकार। पाचक। २. पकी हुई दाल, रसेदार तरकारी आदि। ३. सारथि का काम या पद। सारथ्य। ४. अपराध। दोष। ५. एक प्राचीन जनपद। ६.उक्त जनपद का सूचक पद जो व्यक्तिवाचक नामों के साथ उत्तर पद के रूप में लगता था। जैसे–दामोदर सूद। ७. आज—कल खत्रियों और कुछ दूसरी जातियो के वर्गो का नाम। ८. लोध। पुं० [फा०] १. लाभ। फायदा। २. ऋण के रूप में दिये हुए धन के उपभोग के बदले में दिया या लिया जानेवाला वह धन जो मूल धन के अतिरिक्त होता है। ब्याज। (इन्टरेस्ट) क्रि० प्र०–चढना।–बढना।–लगना। पद–सूद दर सूद। (देखें) पुं० =शूद्र। उदा०–तुम कत बाम्हन, हम कत सूद।–कबीर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सूदक :
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वि० [सं०] सूदन। (दे० ) |
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सूद-कर्म (न्) :
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पुं० [सं०] भोजन बनाना। खाना पकाना। |
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सूदखोर :
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पुं० [फा०] [भाव० सूदखोरी] १. वह जो अत्यधिक व्याज की दर पर ऋण देता हो। २. वह जिसकी जीविका मिलनेवाले ब्याज से चलती हो। |
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सूदता :
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स्त्री० [सं०] सूद अर्थात रसोइए का काम, पद या भाव। रसोईदारी। |
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सूदत्व :
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पुं० [सं०]=सूदता। |
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सूद-दर-सूद :
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पुं० [फा०] १. उधार दिये हुए धन के सूद या ब्याज पर भी जोड़ा जानेवाला सूद या ब्याज। चक्रवृद्धि। शिखा—वृद्धि। (कम्पाउंड इन्टरेस्ट) २. उक्त के अनुसार ब्याज जोडने की प्रक्रिया या रीति। |
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सूदन :
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वि० [सं०] १. नष्ट करने या मार डालनेवाला। जैसे–मधुसूदन, रिपुसूदन। २. प्रिय। प्यारा। पुं० १. नाश या हनन। २. फकना। |
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सूदना :
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स० [सं० सूदन] १. नष्ट करना। २. मार डालना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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सूदर :
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पुं०=शूद्र। (डिं०)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सूद-शाला :
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स्त्री० [सं० सूदशाला] रसोई-घर। पाकशाला। (डिं०) |
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सूद-शास्त्र :
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पुं० [सं०] भोजन बनाने की कला। पाक-शास्त्र। |
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सूदा :
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पुं० [देश०] मध्य युग में ठगों के गिरोह का वह आदमी जो यात्रियों को फुसलाकर अपने दल में ले आता था। |
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सूदाध्यक्ष :
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पुं० [सं०] रसोइयों का मुखिया या सरदार। पाकशाला का अधिकारी। |
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सूदित :
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भू० कृ० [सं०] १. जो मार डाला गया हो। हत। २. नष्ट किया हुआ। विनष्ट। ३. आहत। घायल। |
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सूदी :
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वि० [फा० सूद] १. सूद से संबंध रखनेवाला अथवा सूद के रूप में होनेवाला। २. (पूंजी या रक्म) जो सूद या ब्याज पर लगी हो। ब्याजू। ३. (कर्ज) जो सूद पर लिया गया हो। |
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सूद्र :
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पुं०=शूद्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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