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सूरज  : वि० [सं० सूर+ज] सूर अर्थात सूर्य से उत्पन्न। पुं० १. शनि। २. सुग्रीव। पुं० [सं० शूर+ज] सूर अर्थात बहादुर या वीर की संतान। पुं० [सं० सूर्य] १. सूर्य। रवि। मुहा०–सूरज को दीपक दिखाना=(क) जो स्वयं अत्यन्त कीर्तिशाली या गुणवान् हो, उसे कुछ बतलाना। (ख) जो स्वयं प्रसिद्ध या विख्यात हो, उसका सामान्य परिचय देना। सूरज पर धूल फेंकना=किसी साधु व्यक्ति पर कलंक लगाना या उसका उपहास करना। २. एक प्रकार का गोदना जो स्त्रियाँ दाहिनें हाथ में गुदाती हैं। पुं० दे० ‘सूरदास’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सूरजजी  : पुं० [स० सूर्य+हिं० जी] राजस्थान, मालवे आदि में प्रचलित एक प्रकार के गीत जो शिशु के जन्म के दसवें दिन सूर्य की पूजा के समय गायें जाते हैं।
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सूरज-तनी  : स्त्री० =सूर्य—तनया (यमुना)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सूरज-भगत  : पुं० [सं० सूर्य+भक्त] असम और नेपाल की एर प्रकार की गिलहरी जो भिन्न-भिन्न ऋतुओं के अनुसार रंग बदलती है।
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सूरज-मुखी  : पुं० [सं० सूर्यमुखी] १. एक प्रकार का पौधा जिसमें पीले रंग का बहुत बड़ा फूल लगता है। २. उक्त पौधे का फूल जिसका मुख सबेरे से संध्या प्रायः सूर्य की ओर ही रहता है। ३. आतिशी शीशा। (देखें) ४. ऐसा व्यक्ति जिसके शरीर का वर्ण लाल और आँखें प्रकृत या साधारण से कुछ भिन्न रंग की और अप्रसम हों। (एल्बाइनो) विशेष–ऐसे लोगों का शरीर और बाल प्रायः सफेद रंग के और आँखें नीले या पीले रंग की होती है। स्त्री० १. उक्त प्रकार की फूल के आकार की एक प्रकार की आतिशबाजी। २. जलूसों, राज—दरबारों आदि में प्रदर्शन और शोभा के लिए रहनेवाला एक प्रकार का पंखा, जिस पर सलमे-सितारे आदि से सूर्य की आकृति बनी रहती है। ३. सुबह या शाम के समय सूर्य के आस-पास दिखाई पड़नेवाली हलकी बदली।
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सूरज-सुत  : पुं० =सूर्य-पुत्र। (१. सुग्रीव। २. कर्ण। ३.शनि।)
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सूरज-सुता  : स्त्री० =सूर्य-सुता (यमुना)।
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सूरजा  : स्त्री० [सं०] सूर्य की पुत्री यमुना।
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