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स्तर  : पुं० [सं०] १. एक दूसरी के ऊपर पड़ी या लगी हुई तह। परत। २. ऊपर का वह सपाट भाग, जो कुछ दूर तक समान रूप से चला गाया हो और जो वैसे जूसरे भागों से अलग या स्वतंत्र हो गया हो। तल। (लेवेल) जैसै—देश या समाज का स्तर। ३.भूमि आदि का एक प्रकार का विभाग जो भिन्न-भिन्न कालों से बनी हुई उसकी तहों के आधार पर किया गया हो। (स्ट्रेटा) ४. शय्या। सेज।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
स्तरण  : पुं० [सं०] १. फैलाना या बिखेरना। २. वह स्थिति जिसमें कोई वस्तु स्तरों या रपतों के रूप में बनी हुई होती हैं। ३. भू-विज्ञान में प्राकृतिक कारणों से प्रथ्वी के धरातल पर्वत आदि के भिन्न-भिन्न स्तरों का बनना या बनावट। ५. बिछौना। बिस्तर।
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स्तरणीय  : वि० [सं०] १. फैलाये या बिखेरे जाने योग्य। २. बिछाए जाने योग्य।
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स्तरिमा (मन्)  : पुं० [सं०] पलंग। शय्या।
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स्तरी  : स्त्री० [सं०] १. धुआँ। धूम्र। २. ऐसी गाय जो दूध न दे रही हो।
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स्तर्य  : वि० =स्तरणीय।
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