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शब्द का अर्थ

स्तुत  : भू० कृ० [सं०] १. जिसकी स्तुति की गई हो। २. प्रशंसित। ३. चूआ या बहा हुआ। पुं० १ शिव। २. स्तुति।
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स्तुति  : स्त्री० [सं०] १. आदर-भाव से किसी के गुणों का कथन करना। जैसे—देवता की स्तुति करना। २. वह पद या रचना जिसमें किसी देवता आदि का गुण कथन हो। ३. प्रशंसा। तारीफ। बड़ाई। ४. दुर्गा का एक नाम। पुं० शिव का एक नाम।
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स्तुति-पाठक  : पुं० [सं०] बंदी जिसका काम प्राचीन काल में राजाओं की स्तुति या यशोगान। गुणगान।
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स्तुतिवाद  : पुं० [सं०] पशंसात्नक कथन। यशोगान। गुणगान।
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स्तुति-वादक  : पुं० [सं०] १. स्तुति या प्रशंसा करनेवाला। प्रशंसक। २. खुशामदी।
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स्तुत्य  : वि० [सं०] १. स्तुति या प्रशंसा का अघिकारी या पात्र। प्रशंसनीय। २. जिसकी स्तुति या प्रशंसा होने को हो या होनी चाहिए।
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